
‘बढ़ती ठंड’ के साथ सूबे में ‘ठंडा’ पड़ने लगा ‘विद्युत उत्पादन’
09 दिसंबर, 2023
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रूद्रपुर। उत्तराखंड के निर्माण के समय राज्य के रहनुमाओं द्वारा राज्य के निवासियों को यह आश्वासन दिया गया था, कि नए प्रदेश के निर्माण के बाद देवभूमि में हर क्षेत्र में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होगी और उत्तराखंड तमाम तरह के उत्पादन में आत्मनिर्भर तो होगा ही, साथ ही यह अपने उत्पाद दूसरे राज्यों को विक्रय भी करेगा। मगर, राज्य निर्माण के 23 साल के बाद भी हालात कुछ ऐसे हैं कि देवभूमि के उत्पादों के विक्रय की बात तो दूर, उत्तराखंड के नीति नियंता सूबे को कई तरह की बुनियादी जन सुविधाओं में आत्मनिर्भर तक नहीं बना सके। बात राज्य के विद्युत उत्पादन की करें तो विद्युत उत्पादन में उत्तराखंड अभी भी अपनी जरूरत के अनुसार तरक्की नहीं कर पाया है और राज्य को बिजली की मांग बढ़ने पर केंद्र का मुंह ताकना पड़ता है। प्रदेश के विद्युत उत्पादन में पूरी तरह निर्भर न होने के कारण ही प्रदेशवासियों को समय-समय पर घोषित-अघोषित विद्युत कटौती का सामना करना पड़ता है और किसानों को भी 24 घंटे निर्बाध विद्युत की सप्लाई नहीं हो पाती, जिसका सीधा असर राज्य की जीडीपी पर पड़ता है। वैसे तो आमतौर पर उत्तराखंड में बिजली का संकट मुख्य रूप से गर्मियों में ही गहराता है ,लेकिन कभी-कभी सर्दियों के मौसम में भी बिजली का संकट पैदा हो जाता है। वह इसलिए ,क्योंकि राज्य की नदियों में पानी का बहाव कम हो जाता है और इसका असर विद्युत उत्पादन पर पड़ता है। नदियों में पानी कम होने का यह असर अब प्रदेश की विद्युत उत्पादन क्षमता पर एक बार फिर दिखाई देने लगा है ,क्योंकि ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदेश में जैसे-जैसे नदियों में पानी का बहाव कम हो रहा, वैसे-वैसे ही बिजली उत्पादन भी प्रभावित होना शुरू हो गया है। हालात कुछ ऐसे हैं कि एक और जहां यूजेवीएनएल का उत्पादन घट गया है ,वहीं दूसरी ओर केंद्रीय पूल से मिल रही बिजली भी कम हो गई है । बताना होगा कि सामान्य दिनों में यूजे वीएनएल की जल विद्युत परियोजनाओं से यूपीसीएल को रोजाना 1.2 से 1.4 करोड़ यूनिट तक बिजली मिलती है, लेकिन इस महीने में यह आंकड़ा घटकर 80 से 90 लाख यूनिट पर आ गया है । इसके अलावा राज्य को सामान्यतया केंद्रीय पूल से रोजाना करीब 1.8 करोड़ यूनिट तक बिजली मिलती है, जो घटकर 1.4 करोड़ तक आ गई है, जबकि बिजली की मांग 3.5 से 3.9 करोड़ यूनिट प्रतिदिन जा रही है। ऐसे में यूपीसीएल को मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए खुले बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है। यद्यपि राज्य में अभी कहीं भी घोषित कटौती नहीं हो रही है और अभी तक तो हालात नियंत्रण में लग रहे हैं, लेकिन भविष्य में ठंड बढ़ने पर जैसे-जैसे बिजली की मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे ही दुश्वारियां भी बढ़ सकती हैं। गौर तलब है कि उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड के दौरान बिजली की मांग पांच करोड़ यूनिट से भी ऊपर पहुंच जाती है। हालांकि, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का दावा है कि विशेष परिस्थितियों के लिए काशीपुर के गैस आधारित पावर प्लांट के लिए गैस रिजर्व में खरीदी गई है तथा भविष्य में भी बिजली के पुख्ता इंतजामात किए जाते रहेंगे।