श्री गुरुगोविंद सिंह के गुरु पर्व के उपलक्ष्य मे निकाला नगर कीर्तन।
06 जनवरी, 2025
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नानकमत्ता:(चरनसिंह सरारी) आज गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब प्रबंधक कमेटी व सेवादारो सहित क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्री गुरुगोविंद सिंह के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर नगरकीर्तन निकाला। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब प्रबंधक कमेटी व क्षेत्र की संगत के सहयोग से नगरकीर्तन का आयोजन किया जाता है आज सुबह दस बजे ग्राम गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब से सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ सुंदर शोभा यात्रा आरंभ हुई, जिसमे ट्रैक्टर ट्रॉली सहित फूलमालाओं से सजाई गई पालकी साहिब में गुरुग्रंथ साहिब को रखा गया, श्री गुरुग्रंथ साहिब की अगुवाई में पंज प्यारो की रहनुमाई में नगरकीर्तन आरम्भ हुआ गुरू ग्रन्थ साहिब की पालकी के आगे सड़क पर पानी डालकर श्रद्धालुओं ने झाड़ू लगाकर सफाई करते हुए आगे चलते रहे, शहर की संगत द्वारा कई जगहो पर नगरकीर्तन में शामिल संगत के लिए चाय पानी, मिष्ठान, लंगर का इंतजाम किया, वहीं नगरकीर्तन में रागी जत्थों, ढाढ़ी जत्थों काविसरी जत्थों द्वारा श्री गुरुगोविंद सिंह के इतिहास को बताया व गुरबाणी का प्रचार किया। वहीं आपको बताते चले कि गुरुगोविंद का जन्म बाइस दिसम्बर 1666 में नौवें गुरु तेग़ बहादुर माता गुजर कौर के घर पटना में हुआ था 1670 में गुरुगोविंद सिंह का परिवार आनंद पुर साहिब पंजाब चला गया। यहां पर गुरुगोविंद सिंह ने फारसी, संस्कृत भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया व शास्त्र विद्या का ज्ञान प्राप्त किया, जातिवाद से दूर हटकर सभी धर्मों को सम्मान दिया व जुल्म के खिलाफ लड़ते हुए 14 युद्ध कट्टर वादी मुगल बादशाह ओरंग जेब के साथ आमने सामने लड़े ओर ओरंग जेब की तानाशाही को कुचलते हुए हिन्दू धर्म को बचाया और खालसा पंथ की स्थापना की। पिता गुरु तेग़बहादुर सिंह ने दिल्ली चांदनी चौक में शीश कटवाकर बलिदान दिया। गुरु गोविन्द सिंह ने सब परिवार का बलिदान दिया इसलिये सरबसं दानी कहा जाता है ।नगरकीर्तन गुरुद्वारा नानकमत्ता से आरम्भ हुआ सितारगंज खटीमा रोड गुरुद्वारा गेट से बाजार से होते हुए शाम पांच बजे गुरुद्वारा नानकमत्ता में सुंदर आतिशबाजी के बाद अरदास के साथ सम्पन्न हुआ। नगरकीर्तन में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नानकमत्ता के प्रधान स० जोगेंदर सिंह ,मैनेजर रणजीत सिंह,स० अजीत सिंह, स० हरभजन सिंह,एकाउंटेड सुखवंत सिंह भुल्लर, रणजीत सिंह राणा,गुरदयाल सिंह,, सुखविंदर सिंह,सतनाम सिंह,बल्देव सिंह चीमा आदि सैकड़ों श्रद्धालुओं शामिल हुए।