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राम ने किया तालिका- सुबाहु का वध, राम- लक्ष्मण को लेकर मिथिला नगरी के लिए रवाना हुए ऋषि विश्वामित्र।

राम ने किया तालिका- सुबाहु का वध, राम- लक्ष्मण को लेकर मिथिला नगरी के लिए रवाना हुए ऋषि विश्वामित्र।

सितारगंज:(चरनसिंह सरारी) नगर में उत्तरांचल पर्वतीय विकास समिति के तत्वाधान में आयोजित पर्वतीय रामलीला में शनिवार को दूसरे दिन पंडित  प्रकाश चन्द्र भट्ट के निर्देशन में श्री रामलीला का शुभारंभ  गणेश वंदना के साथ शुरू हुआ रामलीला के मंच पर राजा दशरथ का दरबार सुबाहु मारीच का वध व ताडका वध का प्रसंग दिखाया गया। दूसरे दिन ताडका का वध का प्रसंग रामलीला में आकर्षण का केंद्र रहा राक्षसी ताड़का का किरदार बहुत ही खूबसूरत तरीके से गिरीश दुर्गापाल ने किया, इस दौरान सैकड़ो की संख्या में पहुंचे राम भक्त तालियां बजाते नजर आए तत्पश्चात ऋषि विश्वामित्र राम लक्ष्मण को लेकर तड़का वन में पहुंचते हैं राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र को यज्ञ  करने को कहते हैं राम लक्ष्मण धनुष बाण साध कर यज्ञ की सुरक्षा करने के लिए तैयार होते हैं राक्षसी ताड़का यज्ञ शुरू होते ही यज्ञ में विध्वंस करना चाहती है लेकिन अचानक राम लक्ष्मण को देख क्रोधित हो जाती है यज्ञ में विध्वंस करने का प्रयास करती है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को सामने आकर संग्राम करने की बात करती है उसके बाद उछल कूद मचाते हुए इधर-उधर भागती है तत्पश्चात रामचंद्र जी के द्वारा ताडका का वध कर दिया जाता है बाद में राम के द्वारा सुबाहु भी मार दिया जाता है मिथिला नरेश राजा जनक का सीता स्वयंवर का निमंत्रण प्राप्त होने पर ऋषि विश्वामित्र श्री राम लक्ष्मण को साथ लेकर मिथिला नगरी रवाना होते हैं रास्ते में गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर की शीला अहिल्या का भगवान श्री राम उधर करते हैं। मिथिला में ऋषि विश्वामित्र और राम लक्ष्मण का राजमहल में स्वागत होता है ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर गुरुजी गुरु की पूजा के लिए फूल लेने के लिए राम जनक की वाटिका में जाते हैं वाटिका में जनक नंदिनी सीता अपनी बहनों और सखियों के साथ वाटिका में गौरी पूजन के लिए आती है वाटिका में श्री राम और सीता एक दूसरे की और देखते हैं सीता जी मां पार्वती से अपने मन में पति रूप में श्री राम की कामना करती हैं द्वितीय दिवस की रामलीला में दशरथ की भूमिका में अंबा दत्त मौनी जनक की भूमिका में संजय कांडपाल राम की भूमिका में नीरज जोशी लक्ष्मण की भूमिका में सूरज जोशी सीता की भूमिका में मयंक गोस्वामी ने अपना शानदार किरदार किया। इस दौरान समिति के अध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष अम्बा दत्त मौनी, कोषाध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट, लीला निर्देशक पंडित प्रकाश भट्ट, संरक्षक मंडल में दीपचंद भट्ट, खजान चंद जोशी, धीरेंद्र पन्त, बद्री दत्त नगदली, डी०के० पंतोला दीपू जोशी,हेमंत बोरा,ललित मैनाली,नंदा बल्लभ  जोशी,भुवन गडकोटी, सतीश  उपाध्याय,आनंद बल्लभ भट्ट,प्रकाश बोरा,,जगदीश गुरुरानी,चंद्रशेखर भट्ट,मदन परिहार, लक्ष्मी दत्त सकलानी, प्रेम राम, विनय कुमार, प्रेम सिंह गौनिया, गिरीश जोशी, भुवन भट्ट, त्रिलोचन,  गिरीश बोरा,  भूवन राम टम्टा, नवीन जोशी, बसन्त जोशी, बसंत आर्या, शेखर जोशी, नवीन भट्ट निराला आदि मौजूद रहे।

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