
सितारगंज:(चरनसिंह सरारी) नगर में उत्तरांचल सांस्कृतिक विकास समिति के तत्वावधान में श्री रामलीला मैदान के रंगमंच पर चल रहे पर्वतीय रामलीला के आज तृतीय दिवस विघ्नहर्ता श्री गणेश वंदना के साथ पंडित प्रकाश भट्ट के निर्देशन में जनक प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद, राम जानकी विवाह और विदाई लीला हुई। आज की रामलीला के पूर्व भावपूर्ण अभिनय युक्त प्रस्तुत कर दर्शकों को भगवान श्री राम की भक्ति के सागर में शानदार लीला का आयोजन हुआ। जिसमे गुरू विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण जनकपुर पहुंचते हैं। विश्राम के दूसरे दिन दोनों भाई जनकराज की वाटिका में पूजा के लिए पुष्प लेने जाते हैं, जहां पर सखियों संग गई सीता जी, भगवान राम को और राम जी, सीता को देखते हैं। रामलीला के अगले क्रम में धनुष यज्ञ लीला हुई, जिसमे जनक प्रतिज्ञा के अनुसार महल में धनुष यज्ञ का आयोजन करते हैं जहां पर तमाम सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए राजा.महाराजा भाग लेते हैं और सभी धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन कोई भी धनुष को तोड़ने के बजाए उठाने में ही अक्षम साबित होते है। धनुष यज्ञ के आयोजन में पहुंचे रावण ने जब जनक को आमंत्रण न देने पर गुस्सा दिखाते हुए धनुष तोड़ने की जिद की तो बाणासुर ने रावण को चुनौती दे दी, और जमकर खरी खोटी सुनाई लेकिन बहन को मधु दैत्य के उठाकर ले जाने की आकाशवाणी सुनकर रावण को स्वयंवर से लौटना पड़ा जहां रावण की भूमिका में धीरेंद्र पंत तो बाणासुर की भूमिका में चंद्रशेखर भट्ट ने शानदार अभिनय किया, स्वयंवर में किसी भी राजा के धनुष न तोड़ने पर जनक बिलख उठे। स्वयंवर में कोई भी राजा धनुष को हिला नहीं सका। इस दृश्य को देखकर राजा जनक उदास होकर बोले कि मुझे नहीं पता था यह धरती वीरों से खाली हो गई है, क्या इस धरती पर कोई ऐसा वीर नहीं है जो इस शिव धनुष को तोड़ सके। इसी बीच शेषा अवतार लक्ष्मण आवेश में आकर अत्यंत क्रोधित हो जाते हैं। तभी गुरू विश्वामित्र राम को आदेश देते हैं कि वह उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ायें। गुरू की आज्ञा पाकर राम, शिव जी के धनुष को हाथ से उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाते हैं, वैसे ही सारे लोग हतप्रभ हो जाते हैं। प्रत्यंचा चढ़ाते ही राम से धनुष टूट जाता है। वैसे ही महल में परशुराम गरजते हुए महल में पहुंचते हैं और जोर जोर से कहते हैं कि भगवान शिव के इस धनुष को किसने तोड़ा है, कौन है यह दु:साहसी । परशुराम के इस वचन को सुनकर लक्ष्मण बड़े आवेग में आकर कहते हैं कि आपकी कैसी हिम्मत हुई ऐसा कहने कि इस धनुष को किसने तोड़ा। तभी परशुराम और लक्ष्मण में काफी वाद.विवाद होता है। परशुराम लक्ष्मण संवाद के बाद राम जानकी विवाह व विदाई लीला हुई। इस प्रसंग में राम और सीता के विवाह की तैयारियां शुरू हो जाती हैं और भगवान राम के गले में सीता जी वरमाला डालती हैं तभी आकाश से सभी देवतागण पुष्प वर्षा करते हैं और इसी के साथ राजा जनक की अन्य तीनों पुत्रियों का विवाह भी क्रमश: लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ हो जाता है। विवाह के उपरान्त सीता जी विदा होकर अयोध्या की ओर प्रस्थान करती हैं। यहीं इस लीला का सुखद् अंत होता है। आज की लीला का आकर्षण का केंद्र धनुष यज्ञ परशुराम लक्ष्मण संवाद रहा। जहां परशुराम का शानदार अभिनय ललित मैनाली ने किया तो लक्ष्मण के रूप में सूरज जोशी ने शानदार टक्कर दी। वही जनक की भूमिका में संजय कांडपाल, राम की भूमिका में नीरज जोशी, सीता की भूमिका में मयंक गोस्वामी ने अपना शानदार किरदार निभाया। इस दौरान सैकड़ो श्री राम भक्तों के साथ समिति के अध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष अम्बा दत्त मौनी, कोषाध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट, लीला निर्देशक पंडित प्रकाश भट्ट,, संरक्षक मंडल में दीपचंद भट्ट, खजान चंद जोशी, धीरेंद्र पन्त, बद्री दत्त नगदली, संगठन मंत्री व युवा समाजसेवी इन्द्र सिंह मेहरा, डीके पंतोला, भाजपा नेता भोला जोशी, समसानी दीपू जोशी,हेमंत बोरा,ललित मैनाली,नंदा बल्लभ जोशी,भुवन गडकोटी, सतीश उपाध्याय,आनंद बल्लभ भट्ट, प्रकाश बोरा,,जगदीश गुरुरानी, चंद्रशेखर भट्ट,मदन परिहार, लक्ष्मी दत्त सकलानी, उमेद सिंह नेगी, प्रेम राम, विनय कुमार, प्रेम सिंह गौनिया, गिरीश जोशी,भूवन भट्ट,त्रिलोचन गडकोटी, गिरीश बोरा,भूवन राम टम्टा, नवीन जोशी, बसन्त जोशी, बसंत आर्या, शेखर जोशी, नवीन भट्ट निराला आदि मौजूद रहे।