राज्य स्थापना रजत जयंती वर्ष पर गुरुनानक देव महाविद्यालय में स्वच्छता अभियान व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम, स्वयंसेवियों ने दिखाया जोश और देशभक्ति का जज्बा।
08 नवंबर, 2025
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नानकमत्ता:(चरनसिंह सरारी) उत्तराखंड राज्य स्थापना रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में श्री गुरुनानक देव स्नातकोत्तर महाविद्यालय नानकमत्ता में एनएसएस इकाई एवं छात्र-छात्राओं द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. इंदु बाला के नेतृत्व में स्वयंसेवियों ने महाविद्यालय परिसर एवं आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश दिया। तत्पश्चात छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, परंपराओं और वीरता को दर्शाते हुए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनसे पूरा वातावरण देशभक्ति और उत्सव के रंगों से सराबोर हो उठा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्राचार्य डॉ. सीता मेहता ने छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि “स्वच्छता में ही ईश्वर का वास है, स्वच्छ मन, वचन और कर्म से ही एक आदर्श समाज का निर्माण संभव है।” उन्होंने राज्य स्थापना दिवस को गौरव का प्रतीक बताते हुए सभी से राज्य के विकास में योगदान देने का आह्वान किया।एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. इंदु बाला ने रजत जयंती वर्ष की बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखंड देवभूमि केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक नहीं, बल्कि समृद्ध संस्कृति, अध्यात्म और बलिदान की भूमि है। उन्होंने कहा कि इस पावन धरा की माटी में जन्मे वीर शहीदों के त्याग और समर्पण को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। कंप्यूटर सहायक पंकज सिंह बोहरा ने भी छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि “यह वही भूमि है, जहाँ से देश के लिए बलिदान देने वाले अमर सपूत निकले, हमें उनके पदचिह्नों पर चलकर उत्तराखंड को स्वच्छ, शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना होगा।”इस अवसर पर डॉ. गोपाल सिंह, डॉ. मनोज जोशी, डॉ. आरती राणा, डॉ. राधा बिष्ट, डॉ. किरन, डॉ. नीतू, श्रीमती ज्योति राणा, श्रीमती ममता राणा, श्री मनोज कुमार, सुश्री रेनू थापा, सुश्री दीपा दानू, श्रीमती काजल वर्मन, सुश्री मनप्रीत कौर, कार्यालय सहायक श्रीमती पूनम राना, पुस्तकालय सहायक सुश्री प्रगति राना तथा कर्मचारी दुर्गानाथ गोस्वामी व देव राम सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पूरे दिन देशभक्ति गीतों, लोकनृत्यों और उत्साहपूर्ण नारों से माहौल गूंजता रहा और प्रतिभागियों ने उत्तराखंड की संस्कृति को जीवंत कर दिया।